किताब के बारे में : भोजपुरी का पहला बोल्ड उपन्यास भोजपुरी की बिंदास लेखिका नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’ की कलम से । अमेजन किंडल पर मात्र 49 रुपए में उपलब्ध, जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद, ओझा प्रकाशन से प्रकाशित
किताब का विषय: ‘औरत अपना – आप बचाए तब भी मुजरिम होती है । औरत अपना – आप गँवाए तब भी मुजरिम होती है ।’ * मेहरारून के कोमलता आ संवेदना, जे ओकर सबसे बड़ शक्ति होला, ओकर सुन्दरतम विशिष्टता होला – ओही प साजिशी आक्रमण कइल गइल बा । साँच बात त ई बा कि प्रेम आ संवेदना सम्मान के सहोदर होले जो एक – दोसरा बिना रह ना सकेले । विडम्बना रहल कि पुरूष नारी के खाली प्रेम – संवेदना के देवी बना त दीहलस । बाकिर, सम्मान न समर्पित कर सकल ओकरा मात्र ‘भोग्या’ मान लिहलस । देह के शुचिता के आगे नारी – सम्मान के कवनो आधार ना मनलस, देह से बेसी नारी के कवनो अस्तित्व ना बुझलस । एह सच्चाई के मखमली शब्दन आ रिश्तन के नांव से ढाँपे के कोशिश कइल गइल बाकिर साँच त साँच होला – ऊ आपन कुरूप चेहरा उघाड़िए देवेला । समाज में व्याप्त दहेज, झूठा प्यार और बलात्कार का घिनौना सच जो हर लड़की की जिंदगी में जहर घोल चुका है । संवरी, पमली और बारली तीन सखियों की तीन कहानी जिसे पढ़ कर आ जाता है आँखों में पानी । हर लड़की के जीवन का सच उजागर करता एक समाजिक मार्मिक भोजपुरी उपन्यास ‘विजय पर्व’ ! जो नई सोंच और समझ को विकसित कर रहा है ।
लेखिका के विषय में: वर्तमान में नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’ साहित्यप्रीत डॉट कॉम की संपादक हैं ।