वरिष्ठ पत्रकार और लेखक मनोज कुमार मिश्र ने तीन दशक से ज्यादा समय तक देश के सबसे प्रतिष्ठित अखबार जनसत्ता में काम किया, ये किताब उसी दौर की उनकी उन रिपोर्टिगं की दास्तान जो है खबरें लीक से हटकर थी।
112 पेजों की इस किताब का मूल्य 130 रुपया है। इसे प्रकाशित किया है शशि प्रकाशन ने । अमेजन और फ्लिपकार्ट पर ये छूट के साथ उपलब्ध है।
इस किताब को भविष्य के पत्रकार, ख़ास करके रिपोर्टरों को भी ध्यान में रखकर तैयार किया है। यह जताने का प्रयास किया है कि एक रिपोर्टर से समाज को कुछ अलग तरह की भी अपेक्षा रहती है। सोशल मीडिया के युग में भले ही प्रिंट मीडिया का प्रभाव ज़रूर कम हुआ हो लेकिन समाज का एक वर्ग अख़बारों की ख़बरों पर भरोसा करता है। लोग अपनी किसी समस्याओं तक के समाधान के लिए अख़बारों के दफ्तर में आते हैं। अलग से बहस हो सकती है कि एक आदर्श संवाददाता की परिभाषा क्या हो? मेरा मानना है कि अगर आपकी ख़बरें समाज में नहीं जुड़ेगी तो आपकी मान्यता भी कम हो जाएगी। ऐसा भी नहीं है कि संवाददाता ख़बर लिखने का मूल काम छोड़कर आंदोलन ही करने लगे लेकिन उसे समाज से सरोकार बनाए रखना चाहिए, तभी उसके काम करने की सार्थकता बढ़ेगी।… मनोज कुमार मिश्र