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‘धाह’ के कवितन में प्रेम के ढेर सुन्नर-सुन्नर रूप मिली, परम्परा के ढेर उदात्त चित्र लउकी, अपना लोग से ढेर गलचाउर होई आ अपना संस्कृति के देख-पढ़ के बेर-बेर छाती गर्व से उतान होई।
इ किताब अमेजन पर उपलब्ध बा, 200 रुपया दाम बा। एकर प्रकाशन सर्व भाषा ट्रस्ट से भइल बा।